डोर में पड़ी
उलझन को
मत खींचो
इस क़दर
कि
वह
गाँठ बन जाए...
पड़ी
गाँठ को
मत कसो
इतना...कि...
जोड़
और
सख़्त हो जाए !
धैर्य
और
प्रेम से
मुमकिन है...
पड़ी दरार
समतल हो जाए !
संभव है ...
डोर के टूटने
से पहले ही,
उलझन
सुलझ जाए
टूटने से पहले ही,
रिश्ते
सँवर जाए !
Amazing work ma'am!
ReplyDeleteAti sundar��
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