Wednesday, April 27, 2016

उलझन

डोर में पड़ी
उलझन को
मत खींचो
इस क़दर
   कि
   वह
गाँठ बन जाए...
    पड़ी
  गाँठ को
  मत कसो
इतना...कि...
    जोड़
    और
सख़्त हो जाए !
     धैर्य
     और
     प्रेम से
 मुमकिन है...
   पड़ी दरार
समतल हो जाए !
   संभव है ...
डोर के टूटने
 से पहले ही,
   उलझन
 सुलझ जाए
टूटने से पहले ही,
      रिश्ते
  सँवर जाए !
   

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