Sunday, May 1, 2016

शूल

पीछे से ...
आनेवाली,
पद्चाप को,
अनदेखा करने की,
तुम
कभी न करना
भूल ...!
जाने कब...?
आगे निकल...
वह
बन जाए ...
तुम्हारे ही पथ का
शूल ....!

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